मुक्तक : 664 – शत्रु क्या दुख से Posted on January 22, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments शत्रु क्या दुख से मेरा मारा मिला ।। जैसे जो चाहा था वह सारा मिला ।। कम न होता था जो , उसको देखकर , मुझको मेरे दुख से छुटकारा मिला ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 132