गीत (17) : बोलो अब तक किसने देखे ?
बोलो अब तक किसने देखे ?
जितने सर पर केश तुम्हारे ।
नीलगगन में जितने तारे ।
स्वप्न सुनहरे लेकर तुमको –
मैंने गिनकर इतने देखे ॥
गहन उदधि कभी तुंग हिमाचल ।
कभी अगन तुम कभी बरफ-जल ।
समय-समय पर रूप तुम्हारे –
मैंने नाना कितने देखे ?
देखे तो मैंने कई सारे ।
जग में न्यारे-न्यारे प्यारे ।
उनमें तुमसे अधिक न पाया –
मैंने सुंदर जितने देखे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति