■ मुक्तक : 665 – इक तरफ़ा आश्नाई Posted on January 30, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments जिसने दुनिया मेरी बनाई थी ॥ ज़िंदगानी मेरी सजाई थी ॥ मेरी मेहनत न वो मेरी क़िस्मत , मेरी इक तरफ़ा आश्नाई थी ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,159