■ मुक्तक : 666 – हो गया इक दिन नशा Posted on January 31, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments खुल के या छुप के जनाब अच्छा नहीं ।। ताकना उनका शबाब अच्छा नहीं ।। हो गया इक दिन नशा भूले मगर , रोज़ ही पीना शराब अच्छा नहीं ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,329