■ मुक्तक : 667 – पैर तुड़वाकर भी बस चलते रहे Posted on February 4, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments पैर तुड़वाकर भी बस चलते रहे रे ॥ तेल-बाती ख़त्म कर जलते रहे रे ॥ तेरी मर्ज़ी ,आग तेरी ,तेरे साँचे , लोह से हम मोम बन ढलते रहे रे ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,273