■ मुक्तक : 670 – झूठे राजा हरिश्चन्द्र Posted on February 7, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments लुंज केंचुए मेनकाओं को नृत्य सिखाते हैं ॥ झूठे राजा हरिश्चन्द्र को सत्य सिखाते हैं ॥ सूरदास इस नगर के वितरित करते-फिरते दृग , सदगृहस्थ को अविवाहित दांपत्य सिखाते हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,077