■ मुक्तक : 670 – ( B ) – बाज नतमस्तक Posted on February 10, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments एक चींटी से हुआ हाथी धराशायी ॥ शेर को चूहे ने मिट्टी-धूल चटवायी ॥ हारकर ख़रगोश लज्जित मंद कछुए से , बाज नतमस्तक चिड़ी की देख ऊँचाई ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,470