* गीत (24) – माना है आज प्रेम – दिवस तो मैं क्या करूँ ?
माना है आज प्रेम-दिवस तो मैं क्या करूँ ?
करता नहीं है कोई मुझसे प्यार अभी तक ।
मैं भी नहीं किसी का तलबगार अभी तक ।
ना मैं किसी का रास्ता देखूँ नज़र बिछा –
ना है किसी को मेरा इंतज़ार अभी तक ।
फिर किसलिए मनाऊँ जश्न नाचता फिरूँ ?
ना आए उसका इंतज़ार मेरी नज़र में ।
नादानी है इक तरफ़ा प्यार मेरी नज़र में ।
जिसका न अपना होना तै है उसके वास्ते –
दिन-रात रहना बेक़रार मेरी नज़र में ।
कोई मुझपे जब मरे न मैं भी उसपे क्यों मरूँ ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति