■ मुक्तक : 674 – तेरे जलवों की Posted on February 24, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments नहीं मेरे अकेले की ये लाखों की हज़ारों की ॥ तेरे जलवों की , तेरे दीद की , तेरे नज़ारों की ॥ बख़ूबी जानते हैं तू कभी आया न आएगा , सभी को है मगर आदत सी तेरे इंतज़ारों की ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,268