■ मुक्तक : 675 – न दिल अब निगोड़ा Posted on February 26, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments न दिल अब निगोड़ा यहाँ लग रहा है ॥ न इतना भी थोड़ा वहाँ लग रहा है ॥ चले क्या गए ज़िंदगी से वो मेरी – मुझे सूना-सूना जहाँ लग रहा है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,351