■ मुक्तक : 677 – इश्क़ को समझना Posted on March 1, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments उसको हिसाब का नहीं मीज़ान समझना ॥ छोटा लतीफ़ा मत बड़ा दीवान समझना ॥ कुछ भी भले समझना , समझना न तू मुश्किल , पर इश्क़ को समझना न आसान समझना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,470