■ मुक्तक : 678 – क्यों लगे है हूँ पीछे ? Posted on March 2, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments क्यों लगे है हूँ पीछे होके सब ही से आगे ? किस तरह के ये मेरे सोये भाग हैं जागे ? जब से आई है कोमल सेज मेरी मुट्ठी में , नींद आँखों से मेरी छूट-छूट कर भागे ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,568