■ मुक्तक : 687 – ‘ हाय ! थक चुका हूँ मैं ’ Posted on April 2, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments ” सच चटक चुका हूँ मैं ” , आईना ये बोलता ।। ” ख़ूब छक चुका हूँ मैं ” , आईना ये बोलता ।। सबके हू ब हू दिखा , अक़्स रोज़-रोज़ अब ; ” हाय ! थक चुका हूँ मैं ” , आईना ये बोलता ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,275