■ मुक्तक : 694 – बेपेंदी का लोटापन ॥ Posted on April 9, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments खरे-खरे दिखने वालों में दिखा मुझे इक खोटापन ॥ बड़े-बड़ों में प्रायः पाया बड़ा-बड़ा सा छोटापन ॥ कुआँ ,सरोवर ,झील ,नदी से लगा करें जो बाहर से , उन्हीं में खाली बेपेंदी का भरा हुआ घन लोटापन ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,350