अकविता (15) – सारे फ़साद की जड़ है फ़ुर्सत ।
कवच
होते हैं वार से बचने को ,
मरीजों के लिए होते हैं –
डॉक्टर ,
अपराधों की रोकथाम अथवा
न्याय के लिए हैं –
पुलिस और अदालतें
बिगड़ों के लिए सुधारक
अज्ञानियों हेतु –
स्कूल और कॉलेज
यह लिस्ट और भी लंबी खींची जा सकती है –
किन्तु मेरा सिर्फ इतना कहना है कि
हम क्यों यह चाहते हैं कि
वार न हों ,
रोग न हों ,
अपराध न हों…….आदि-आदि ?
सोचिए !
क्या इससे बेरोज़गारी और न बढ़ जाएगी ?
कवच कौन खरीदेगा ?
डॉक्टर किसका उपचार करेंगे ?
मेडिकल स्टोर ठप्प पड़ जाएंगे ,
पुलिस महकमा बंद करना पड़ेगा ,
अदालतों में जज किसको न्याय देंगे ?
सुधारक किसे उपदेश देंगे………इत्यादि ?
लब्बोलुआब यह कि
हम क्यों फटे में टाँग अड़ाएँ ?
संसार जैसा चल रहा है चलने दें ।
बस बेकार न रहें , निकम्मे न बैठे दिखें
क्योंकि
सारे फ़साद की जड़ है फ़ुर्सत ।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति