■ मुक्तक : 698 – मैं फ़क़ीर हुआ ॥ Posted on April 15, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments वो मुझसे तब कहीं ज़रा असर-पज़ीर हुआ ॥ अमीर-ऊमरा से जबकि मैं फ़क़ीर हुआ ॥ किया तभी है उसने मुझको दिल में क़ैद अपने , जब उसकी ज़ुल्फ़ का मैं बेतरह असीर हुआ ॥ ( असर-पज़ीर =प्रभावित ,अमीर-ऊमरा =धनवान ,असीर =क़ैदी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,775