मुक्तक : 699 – नहीं रहता हूँ मैं अब होश में ? Posted on April 16, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments मुझसी ग़फ़्लत तो नहीं होगी किसी मयनोश में ॥ पूछिए तो क्यों नहीं रहता हूँ मैं अब होश में ? भागते थे जो मेरे साये से भी वो आजकल , बैठते हैं ख़ुद-ब-ख़ुद आकर मेरी आगोश में ॥ ( ग़फ़्लत=बेहोशी ,मयनोश =मदिरा-प्रेमी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 185