■ मुक्तक : 700 – फ़ौलाद मोम सा पिघले ॥ Posted on April 17, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments कभी जो बर्फ़ में फ़ौलाद मोम सा पिघले ।। ग़ज़ाल शेर को ज़िंदा पटक उठा निगले ।। भुला चुका हूँ उन्हें तुम ये मानना उस दिन , कि मेरी आँख से जिस दिन भी दर्या ना निकले ।। ( ग़ज़ाल=हिरण का बच्चा , दर्या=नदी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,162