मुक्तक : 702 ( ( B ) – ये पचहत्तरवाँ साल है ॥ Posted on April 21, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments वज़्नी ज़ईफ़ी में भी जवाँ ये मलाल है ॥ उनसे जुदाई का ये पचहत्तरवाँ साल है ॥ इस सिन में और कुछ न रहे याद पर उनका , हर वक़्त जेह्नो दिल में बराबर ख़याल है ॥ ( वज़्नी ज़ईफ़ी =भारी बुढ़ापा ,मलाल =दुःख ,सिन =उम्र ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 126