■ मुक्तक : 703 – ऐश-ओ-आराम Posted on April 25, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments ऐश-ओ-आराम की हसरत अज़ाब से पूरी ।। आब-ए-ज़मज़म की ज़रूरत शराब से पूरी ।। क्या बताएँ रे तुझे कैसे-कैसे की हमने ? बारहा तेरी तलब सिर्फ़ ख़्वाब से पूरी !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,377