मुक्तक : 706 ( B ) – नुकीले-नुकीले ये काँटे Posted on May 4, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments कोई करके न तरफ़दारियाँ है ये बाँटे ।। कोई अपने ही न हाथों से ख़ुद है ये छाँटे ।। ख़ुद-ब-ख़ुद ही ये गिरें आके नर्म-दामन में , बदनसीबी से नुकीले-नुकीले ये काँटे ।। ( तरफ़दारियाँ =पक्षपात, छाँटना =चुनना ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 115