■ मुक्तक : 708 – बस मोहब्बत ही करूँ ॥ Posted on May 7, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments ना कहीं चुगली तेरी ना तो शिक़ायत ही करूँ ॥ मारना चाहूँ मगर पूरी हिफ़ाज़त ही करूँ ॥ क़ाबिले नफ़्रत है तू लेकिन कहूँ कैसे मेरी , बेबसी ऐसी है तुझको बस मोहब्बत ही करूँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,076