■ मुक्तक : 722 – सर से न ताज गिरा ॥ Posted on June 2, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments कल गिरा देना मगर कम से कम न आज गिरा ॥ ऐ ख़ुदा मुझपे रहम कर न ऐसी गाज गिरा ॥ जान को दाँव पे मैंने लगा जो पाया अभी , जान ले ले तू मेरे सर से वो न ताज गिरा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,451