मुक्तक : 725 – दुश्मन को मैंने Posted on June 6, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments इक ही न बार बल्कि बार-बार किया है ॥ यूँ ही नहीं हमेशा यादगार किया है ॥ मत कोई मेरी बात पर यक़ीन करे पर , दुश्मन को मैंने अपने सच ही प्यार किया है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 117