मुक्तक : 726 – सोने में मज़ा आता है ॥ Posted on July 11, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments गाह चुपचाप कभी ढोल बजा आता है ॥ रोज़ ख़्वाबों में वो भरपूर सजा आता है ॥ मैं नहीं नींद का ख़ादिम हूँ मगर सच बोलूँ , उसके दीदार को सोने में मज़ा आता है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 116