मुक्तक : 740 – जो बचा लेता ॥ Posted on August 3, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments टूटने – गिरने बिखरने से जो बचा लेता ॥ आँधियों में भी उजरने से जो बचा लेता ॥ उसको बोलूँ न ख़ुदा तो मैं और क्या बोलूँ ? पीलूँ ज़हराब तो मरने से जो बचा लेता ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 111