मुक्तक : 742 – आबोदाना ॥ Posted on August 5, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments [ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ] लिक्खा जहाँ पे होता क़िस्मत में आबोदाना ॥ ना चाह के भी सबको पड़ता वहाँ पे जाना ॥ मर्ज़ी का सबको मिलता कब रोज़गार याँ पे ? भरने को पेट जैसा चाहें मिले न खाना ॥ (आबोदाना=रोज़ीरोटी,खाना=भोजन) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 104