मुक्तक : 747 – आम होके रोते हैं ॥ Posted on August 10, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments नामवर मुफ़्त में बदनाम होके रोते हैं ॥ वो बहुत ख़ास से अब आम होके रोते हैं ॥ दिल से बेवज़्ह हमारे भी खूँ नहीं रिसता , इश्क़ के काम में नाकाम होके रोते हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 101