मुक्तक : 761 – अर्श को पाना ॥ Posted on September 4, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments [ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ] आपको जानके , होता न शम्अ ; पर्वाना ॥ इश्क़ में आपके , होता न मैं जो दीवाना ॥ दफ़्न रहके भी मैं , रह लेता फ़र्श पर भी ख़ुश , मुझको होता कभी , लाज़िम न अर्श को पाना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 139