मुक्तक : 764 – ज़िंदगी करती रही Posted on September 16, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments [ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ] ज़िंदगी करती रही अपनी फ़ज़ीहत रोज़ ही ॥ और हम लेते रहे उससे नसीहत रोज़ ही ॥ रोज़ ही फँसते रहे हम हादसों में और फिर , शर्तिया होती रही उनसे फ़राग़त रोज़ ही ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 116