मुक्तक : 766 – छुरी वो निकली ॥ Posted on September 21, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments सचमुच बहुत बुरी वो , निकली तो अब करें क्या ? जल नाँँह माधुरी वो , निकली तो अब करें क्या ? सोचा था पुष्प कोमल , कोमल है वो अरे पर , काँटा , छुरा , छुरी वो , निकली तो अब करें क्या ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 115