मुक्तक : 766 ( B ) अब पस्त हो बैठे ? Posted on September 25, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments तेरे भी बाक़ी बचे सब पस्त हो बैठे ॥ मेरे तो मत पूछ तू कब पस्त हो बैठे ? जो बँधाते थे हमें हिम्मत ये हैरत है – उनके भी सब हौसले अब पस्त हो बैठे ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 115