मुक्तक : 767 – हिरन को हरा दूँ ॥ Posted on September 28, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments तेरे लिए निचोड़ तप्त रेत बता दूँ ॥ तू कह तो बर्फ जल को लंक जस ही जला दूँ ॥ हो जाए आज भी तू मेरी तो मैं क़सम से , लँगड़ा हूँ फिर भी दौड़कर हिरन को हरा दूँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 120