मुक्तक : 791 – जंगलों में परिंदे Posted on December 14, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments हाँ , जंगलों में परिंदे व जानवर देखे ॥ नदी , तलाव में मछली , बतख़ , मगर देखे ॥ जो ढूँढने को चले तेरे शह्र में इंसाँ , मिले तमाम फ़रिश्ते , न पर बशर देखे !! ( फ़रिश्ते =देवता / बशर =इंसान ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 102