मुक्तक : 794 – तेरा ही लालच है ॥ Posted on December 25, 2015 /Under मुक्तक /With 0 Comments सफ़ेद झूठ नहीं है ये सच निरा सच है ॥ भरा हुआ तू हृदय में मेरे खचाखच है ॥ ये बुद्धि कहती है मुझको है तू असंभव ही , करूँ क्या ? मन को तेरा बस तेरा ही लालच है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 115