मुक्तक : 797 – चलने की तैयारियाँ ॥ Posted on January 12, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments ख़ुद ख़रीदी हैं जाँसोज़ बीमारियाँ ॥ हो रहीं पुख्ता चलने की तैयारियाँ ॥ तब पता ये चला फुँक चुका जब जिगर , जाँ की क़ीमत पे कीं हमने मैख़्वारियाँ ॥ ( जाँसोज़=जाँ को जलाने वाली ,मैख़्वारियाँ=शराबखोरी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 111