मुक्तक : 799 – क़िस्मत छलेगी प्रिये ॥ Posted on January 20, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments आज फिर मुझको क़िस्मत छलेगी प्रिये ॥ शुष्क वस्त्रों को गीला करेगी प्रिये ॥ भूल मैं जो गया आज छतरी कहीं , आज बरसात होकर रहेगी प्रिये ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 401