■ मुक्तक : 807 – दो बूँद जल दे दे ॥ Posted on February 12, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments लगाते दौड़ चूहे पेट में , बस एक फल दे दे ॥ न दे खाने को पीने के लिए , दो बूँद जल दे दे ॥ अशक्त होकर पड़ा हूँ भूमि पे यों , जैसे कोई शव , न कर कुछ मुझको उठ भर जाऊँँ , तू बस इतना बल दे दे ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,448