■ मुक्तक : 818 – मुझपे करना ज़ुल्म Posted on March 24, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments मुझपे करना ज़ुल्म सारे , रात-दिन करना जफ़ा ॥ खुश न रहना मुझसे चाहे रहना तुम हरदम ख़फ़ा ॥ गालियाँ भी जितना जी चाहे मुझे बकना मगर , इक गुज़ारिश है कभी कहना मुझे मत बेवफ़ा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,256