■ मुक्तक : 823 – सौभाग्य-लेखन Posted on April 19, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments चाहता था मेरे हाथों में तेरा मन-हाथ होता ॥ स्वर्ग से ले नर्क तक तू मेरे हर छन साथ होता ॥ मिल के सारे काट लेते रास्ते काँटों भरे हम , किन्तु कब सबके लिखा सौभाग्य-लेखन माथ होता ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,483