■ मुक्तक : 826 – भूकम्प Posted on April 24, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments जोड़-घटाकर जैसे-तैसे इक घर बनवाया ।। पर क़ुद्रत को मेरा वह निर्माण नहीं भाया ।। रात अचानक जब उसमें सब सोए थे सुख से , छोड़ मुझे कुछ भी न बचा ऐसा भूकंप आया ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,760