■ मुक्तक : 831 – रक्त का चूषक Posted on May 10, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments स्वच्छ-कर्ता को महा दूषक बना देता ।। दुग्धप्रिय को रक्त का चूषक बना देता ।। सिर-मुकुट को पाँव की चप्पल बना डाले , काल क्षण में हस्ति को मूषक बना देता ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,349