■ मुक्तक : 836 – पानी पर से हाथी Posted on May 17, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments जैसे पानी पर से हाथी चल निकल आया ॥ काले पत्थर में से मीठा जल निकल आया ॥ रात-दिन मैं ढूँढता था जिसको मर-मर कर , मेरी मुश्किल का कुछ ऐसे हल निकल आया ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,609