■ मुक्तक : 841 – तलाशना हमें बहारों में ॥ Posted on May 27, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments मत खुले में तलाशना हमें बहारों में ॥ ढूँढना पत्थरों के ऊँचे कारागारों में ॥ सिर्फ़ इक भूल का अंजाम भुगतने को खड़े , हम ख़तरनाक गुनहगारों की क़तारों में ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,372