मुक्तक : 846 – बिजलियों की तड़प ॥ Posted on June 16, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments फिर से छूने की लगातार उँगलियों की तड़प ॥ देख दीदार की दिनरात पुतलियों की तड़प ॥ मिलके जबसे तू अँधेरों में खो गया है मेरी , जुस्तजू में है चमकदार बिजलियों की तड़प ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 112