मुक्तक : 847 – हमने क्या देखा ? Posted on June 18, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments फ़क़त एक हमने क्या देखा सभी ने ॥ तुम्हें नाखुदा बन डुबोते सफ़ीने ॥ तो ये जान क्यों कोई चाहेगा तुमको, हो जब इस क़दर धोखेबाज़ और कमीने ॥ (फ़क़त = केवल ,नाखुदा = नाविक ,सफ़ीने = नाव ,कमीने = पातकी ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 110