■ मुक्तक : 850 – तन से सब उतार के ॥ Posted on July 11, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments कर रहा है स्नान कोई तन से सब उतार के ॥ कोई भी न देखता ये सोच ये विचार के ॥ उसके इस भरोसे को न मार डाल इस तरह , झाँक-झाँक के तू गुप्त छिद्र से किवार के ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,559