■ मुक्तक : 856 – माथे धर वंदन होता ॥ Posted on August 10, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र : google search से साभार ) प्रातः के पश्चात सांध्य भी माथे धर वंदन होता ॥ तुलसी की मानस का घर-घर में सस्वर वाचन होता ॥ पढ़कर मनोरंजन ना कर यदि हृदयंगम सब करते तो , मर्यादाओं का जग में सच क्योंकर उल्लंघन होता ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 1,947