*मुक्त-मुक्तक : 857 – सड़कों पे दौड़े मछली Posted on September 3, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments सड़कों पे दौड़े मछली कब ख़्वाहिश की मैंने ? उड़ने की कब हाथी से फ़र्माइश की मैंने ? लेकिन तेरी ख़ातिर मैं जो फूल न तोड़ सकूँ ; तारे तोड़ के लाने की हर कोशिश की मैंने ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 111