*मुक्त-मुक्तक : 860 – हैं भूखे हम बहुत Posted on September 24, 2016 /Under मुक्तक /With 0 Comments नहीं ख़स्ता कचौड़ी के , नहीं तीखे समोसे के ॥ नहीं तालिब हैं हम इमली न ख़्वाहिशमंद डोसे के ॥ न लड्डू , पेड़ा , रसगुल्ला ; न रबड़ी के तमन्नाई ; हैं भूखे हम बहुत लेकिन तुम्हारे एक बोसे के ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 114